Saraswati Pooja 2024: बसंत पंचमी पर करें ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि, देखें विडिओ

Saraswati Pooja: बसंत पंचमी, सर्दी की कठोर विदाई और बहार के मनमोहक आगमन का प्रतीक है। यह वह समय है जब हवा में खुशबू घुल जाती है, पेड़ों पर नए पत्ते फूटने लगते हैं, और चारों ओर पीले रंग की छटा मन को मोह लेती है। बसंत पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह मौसम के बदलाव का भी प्रतीक है, जब ठंड की विदाई होकर वसंत ऋतु अपने मनमोहक रूप में आती है। इस दिन ज्ञान, संगीत और कला की देवी माँ Saraswati Pooja का पवित्र अवसर होता है।
Saraswati Pooja पूजा का महत्व
हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन Saraswati Pooja विधिवत रूप से की जाती है। Basant Panchami पर माता saraswati का जन्म हुआ था। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन को गृह प्रवेश, विवाह और नई वस्तु खरीददारी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। मां सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, और शिक्षा की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा-अर्चना करने से ज्ञान, बुद्धि, और कला में वृद्धि होती है। यह मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए हुए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं। इसलिए, इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

क्या है पूजन विधि ?
माना जाता है कि Saraswati Pooja के दिन saraswati माता की पूजा करने से और माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से ज्ञान, शिक्षा, बुद्धि और कला का विकास होता है। जानिए mata saraswati Pooja विधि, बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले या सफेद वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके माता को गंगाजल से स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद माता को पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन, धूप, दीप आदि अर्पण करें। इस दिन माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और गेंदे के फूल से बनी माला पहनाएं। सरस्वती वंदना या सरस्वती कवच का पाठ किया जा सकता है। आखिरी में हवन करते हुए ‘ॐ श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा’ मंत्र की माला का जाप करें। उसके बाद माता सरस्वती की आरती भी करें। इस दिन देवी को गुलाब का फूल अर्पित किया जाता है और गुलाल भी चढ़ाया जाता है।
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
Basant Panchami देश भर में अलग-अलग मान्यताओं के साथ कई तरीकों से मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, तिथि का आरंभ 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से हो गया है। 14 फरवरी को पंचमी तिथि दोपहर में 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा एक ही दिन यानि 14 फरवरी को है। Saraswati Pooja के लिए सुबह 10:46 से 12 बजे तक का मुहूर्त समय सर्वाधिक उत्तम है।
Saraswati Mata के कुछ मंत्र
ज्ञान की प्राप्ति और बुद्धि के विकास के लिए saraswati mata की अराधना करते हैं। विद्यार्थी जीवन में जब ज्ञान सर्वाधिक ग्रहण किया जाता है तब सभी विद्यार्थियों को मां के आशीर्वाद हेतु उनकी आराधना करनी चाहिए। जानिए माता के कुछ मंत्र जिनसे न केवल माता प्रसन्न होंगी बल्कि इनके जाप से मन भी शांत रहेगा।
ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।
ऐसा माना जाता है इस मंत्र का जाप करने से बल, बुद्धि, तेज, ज्ञान के साथ माँ सरस्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस मंत्र को बहुत ही चमत्कारिक माना गया है कहते है इसके जाप से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे। सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।
मान्यता अनुसार इस मंत्र का जाप करने से नौकरी और कारोबार में आ रही परेशानी दूर होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।
ऐसी मान्यता है माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप 108 बार करने से बुद्धि, ज्ञान और तेज की प्राप्ति होती है।